सोचते-सोचते तुम्हें गुज़र गईं जो
वो गुमसुम सी रातें सारी याद हैं,
लेके हथेलियों पे तुम्हारे ख़यालों की बूंदें
वो भीगी सी बरसातें सारी याद हैं,
आँखे जो एक टक तकती थी रस्ता
वो मुलाक़ातें तुम्हारी सारी याद हैं,
गले से लग कर धड़की थी जो
वो साँसें तुम्हारी सारी याद हैं,
हाँ-नां में गुज़र गई जो
वो बातें तुम्हारी सारी याद हैं,
वो पहली मुहब्बत की फ़रामोशी
वो सब सौगातें.. तुम्हारी सारी याद हैं,
यह बैठे बैठे यूँ ही हँसना-मुस्कुराना
वो यादें तुम्हारी सारी याद हैं
शुक्रिया आँसुओं को रास्ता देने वाले
यह नम आँखे हमारी भी.. तुम्हारी याद हैं!!
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