अभी अलविदा ना कहो ऐ मेरे जाने जांँ,
रात बाकी अभी, बात बाकी अभी।
छेड़ कर तराना-ए-दिल चल दिए तुम कहांँ,
अरमां बाकी अभी,अहसास बाकी अभी।
चल पड़ा तुम संग मेरे ख्वाबों का कारवांँ,
इन्तेहा बाकी अभी,इंतजार बाकी अभी।
छोड़ कर जो गए तुम हो ना जाऊंँ लापता,
सांँस बाकी अभी, जान बाक़ी अभी।
प्रेम की दो घड़ी संग में बीता लो 'शिखा',
उम्र बाकी अभी, जज़्बात बाकी अभी।
-दीपशिखा
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