मन के केतली में तुझे बिठा रखा हूँ,
तुम्हारे जज़्बात को हमेशा ख्याल रखा हूँ,
बसती है मेरे मन में दिल बागबान रहता है,
तुम्हारे हर खुशी या गम को अपना बना के रखा हूँ।
मन के केतली में अब जगह नहीं है,
तुम्हारे सिवा दूसरे का प्रवेश नही है,
एक तो सही से संभलता नही
कारण यही है कि दूसरे को तरजीह नही है।
दुनिया है दुनियादारी भी है
इच्छानुसार सबकी ख़रीदारी भी है
सबका नसीब तुम जैसा नहीं
मन के केतली मे केतकी झाड़ी भी है।
( केतकी = केवडा फूल )
खुश हो तुम खुशहाल हैं हम,
तुम्हारी खुशी से निहाल हैं हम,
सुख-दुख के धूपछाँव का असर नही है तुम पे,
मन के केतली का सचमुच हकदार है तुम।
#आnanद
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