तेरे मुताबिक बनने की बहुत कोशिश की मैंने,
हर आरज़ू दफन कर, चलने की कोशिश की मैंने।
जब तेरा कोई वजूद ना था इस कायनात में,
तब भी तेरे लिए जंग, लड़ने की कोशिश की मैंने।
तेरे मुताबिक बनने की बहुत कोशिश की मैंने।
हमसफ़र का मतलब समझ आता था मुझको,
तुझे समझ आ जाए, ऐसी हजार ख्वाहिशें की मैंने ।
तेरे मुताबिक बनने की बहुत कोशिश की मैंने।
अख्ज़ दिखा मुझको तेरे अकबर -ए -अज़ीजों में,
अमलन तो अस्क़ाम की सौगात ही ली मैंने।
तेरे मुताबिक बनने की बहुत कोशिश की मैंने।
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