अल्हड़-पना,,, दीवानगी,,, आवारगी हैं हम,
सच्ची मुहब्बतों की हसीं आशिक़ी हैं हम.
फूलों की महक, तितलियों के वास्ते सुख़न,
खुशरंग बहारों में घुली ताजगी हैं हम.
बुरखा, हिज़ाब, सूट , साड़ियों में मुसलसल,
जो लड़कियाँ, उन लड़कियों की सादगी हैं हम.
हमने क़दम क़दम पे सहीं ठोकरें बहुत,
अपनों से धोखा खाये हुये आदमी हैं हम.
थामा हो क्यों न हाथ किसी और का 'सत्यम',
उनके पुराने यार, जान आजभी हैं हम.
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