QUOTES ON #YQURDU

#yqurdu quotes

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6 JUN 2020 AT 14:45

सुनो! तुम्हारा ठिकाना आज भी महफूज़ है,
ये दिल अब भी तुम्हारी हीं याद में मशगूल है।

हां माना बेपनाह मोहब्बत आज भी सिर्फ़ तुमसे है,
पर यकीन मानो, तुम्हारा लौटना भी अब फ़िज़ूल है।।

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29 APR 2021 AT 19:55

काश! कभी ऐसा भी हो
मेरे मर जाने के बाद
कोई कहीं
मेरे लिक्खे अश'आर पढ़े
मेरी नज़्मों से मेरी ग़ज़लों से
मेरी सोच की तह तक जा पहुँचे
मेरी रूह को जाने
और अपने ज़ेहन में
मेरी इक तस्वीर उकेरे
और ये सोचे
"मुमकिन है मुझे इस से मुहब्बत हो जाती"

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3 APR 2021 AT 23:23

अब इन्हें ग़म छुपाना आ गया है
हुई तालीम ख़त्म आँखों की

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22 MAY 2021 AT 22:21

जो हो मुमकिन तो लाशें छुपा दीजिए
वरना जाकर नदी में बहा दीजिए

कह दो सबसे ज़बानों पे ताला रहे
जो न मानें तो बल से दबा दीजिए

वेंटिलेटर चले ना चले छोड़िए
उसपे फ़ोटो बड़ी सी छपा दीजिए

जैसे ही ख़त्म हो ये कोरोना के दिन
हिंदू मुस्लिम को फिरसे लड़ा दीजिए

है इलेक्शन के पहले ज़रूरी बहुत
फिरसे नफ़रत दिलों में बसा दीजिए

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12 APR 2021 AT 20:42

न नींदें हैं न ख़्वाब हैं न आप दस्तियाब हैं
इन आँखों के नसीब में अज़ाब ही अज़ाब हैं

ख़ुलूस की तलाश में हैं ऐसे मोड़ पर जहाँ
मैं भी शिकस्त-याब हूँ, वो भी शिकस्त-याब हैं

अगरचे सहरा-ए-वफ़ा में तश्ना-लब हैं सब के सब
मगर करें तो क्या करें कि हर तरफ़ सराब हैं

अमानतें किसी की हैं हमारे पास अब जो ये
शिकस्ता दिल, चुभन, घुटन, उदासी, इज़्तिराब हैं

न हो सके ख़ुशी में ख़ुश न ग़म में ग़म-ज़दा हुए
हमारी ज़िंदगी के कुछ अलग थलग हिसाब हैं

कहानियाँ, मुसव्वरी, किताबें, फ़िल्म, शायरी
सुकून-ए-दिल की आस में खँगाले सब ये बाब हैं

कभी बड़े ही नाज़ से नज़र में रखते थे जिन्हें
हमीं तुम्हारी आँखों के वो कम-नसीब ख़्वाब हैं

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6 JUL 2021 AT 21:58


ऐसे भी तो आग लगायी थी मैंने,
जब तेरी तस्वीर बनायी थी मैंने

हाँ,वो कहानी पढ़कर मैं अब हँसता हूँ
रो-रोकर जो तुम्हें सुनायी थी मैंने,

दुश्मन की आँखों में भी हैरानी थी,
गिरकर भी तलवार चलायी थी मैंने,

कागज़ की इक नाव में बचपन पार किया,
नादानी में जान बचायी थी मैंने,

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20 MAR 2020 AT 13:52

इज़्ज़त का कुछ ख़ौफ़ नहीं था, ख़ौफ़ न था रुसवाई में
जाने कितनी हिम्मत थी उस बचपन की सच्चाई में !!

दादी नानी की बातें अब समझे हैं तब जाना है
जीवन भर का दर्द छुपा था बातों की गहराई में

आज तो अब्बू अम्मी हमको धूप नहीं लगने देते
जब ना होंगे कौन बुलाएगा अपनी परछाई में

तुमने अपना सारा जीवन ख़ुद-ग़र्ज़ी के नाम किया
अब बाक़ी जीवन काटोगे कमरे की तन्हाई में !!

आज उन्हीं बहनों ने हम को फिरसे राह दिखाई है
कल तक जो उलझी रहती थीं, कपड़ों की तुरपाई में

आख़िर क्यूँ ‘शमशेर’ के शेरों में दिलचसपी रखते हो?
जाने क्या मिलता है तुमको शेरों की गहराई में !!

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4 MAR 2020 AT 13:24

मैं फ़क़त लिखता रहा गर मुल्क के हालात पर
तो ग़ज़ल बन्ने से पहले, मर्सिया हो जाऊँगा!

मार कर तुम बेगुनाहों को बचोगे कब तलक ?
वक़्त हूँ मैं, ज़ख़्म बन कर फिर हरा हो जाऊँगा

میں فقط لکھتا رہا گر ملک کے حالات پر
تو غزل بننے سے پہلے مرثیہ ہو جاؤں گا

مار کر تم بےگناہوں کو بچوگے کب تلک
وقت ہوں میں،زخم بن کر پھر ہرا ہو جاؤں گا

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31 MAR 2020 AT 21:36

चलो इस बार मिल जाएँ, जुदाई अब नहीं होगी
मिरे दिल से मुहब्बत की रिहाई अब नहीं होगी

वहाँ परदेस में तनहा बहुत पैसे कमाते थे
मगर हम से वहाँ तनहा कमाई अब नहीं होगी

गई जब नौकरी तब आँख खोली अंध-भक्ति से
कहा हमसे हुकूमत की बड़ाई अब नहीं होगी!

ज़बाँ जब तक सलामत है, मैं सच्ची बात बोलूँगा
डरा कर तुम ये मत समझो, बुराई अब नहीं होगी!

जहेज़ों के पुजारी हो, तुम्हें लड़की से क्या लेना ?!
लिफ़ाफ़े ले के चल दो, मुँह-दिखाई अब नहीं होगी

मिरे अब्बू को लोगों ने यहाँ ज़िंदा जला डाला
मुझे रोटी कमाना है, पढ़ाई अब नहीं होगी!!

वबा ऐसी चली शमशेर, सब को एक कर डाला
धरम के नाम पर शायद छटाई अब नहीं होगी!

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13 MAR 2020 AT 13:54

सुनो यारो, ख़ताओं को मिरी पहचान रहने दो!
फ़रिश्ते तुम बनो, मुझको फ़क़त इंसान रहने दो!

ये उम्मीदें हमारी हमको अक्सर दुख हि देती हैं!
भुलाना सीख लो, रिश्तों में अपनी जान रहने दो

कभी जो ज़िंदगी के फ़ैसलों में मुश्किलें आएँ
तो हर लमहे नसीहत के लिए कूरआन रहने दो

ख़ुदी अब भी सलामत है, इरादे अब भी पुख़्ता हैं
मैं लड़ सकता हूँ तनहा, आप ये अहसान रहने दो

ये दुनिया चार दिन की है, यहाँ किस बात से डरना
भले सब कुछ लूटा दो, क़ल्ब में ईमान रहने दो!

किताबों से न सीखो गे, ग़रीबी जो सिखाएगी
ग़रीबों से भी अपनी थोड़ी सी पहचान रहने दो

वही यादें, वही बातें, वही ‘शमशेर’ की ग़ज़लें...
ये दिल ऐसे ही अच्छा है इसे वीरान रहने दो!!

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