Guddu Srivastava 5 FEB 2023 AT 9:29 इस ठिठुराती ठंढ मेंअलाव एक दिन जलाया भी नहींमैं जमता रहा बर्फ़ साअपनी साॅंसों से कभी गर्माया भी नहींहर पल प्यार का दम भरते हैं जोइतने दिनों में एक बार चाय पर भी बुलाया नहीं। - Gajender Verma 18 APR 2018 AT 10:34 एक सपना देखा हैं, हक़ीक़त बनाना बाकी हैंपँखो से न सही, होंसलों की उड़ान काफी हैंमुश्किल नहीं हैं कुछ,मेहनत करनी बाकी हैं -