लिख रही
एक कहानी
बहुत सोच चुने
किरदार कई वीरानी
स्नेह ,प्रेम, दिल
रोष ,दर्द , मन
गुस्सा, रुदन, इंसान
सब कुछ था
सब कुछ
बस एक किरदार
हट गया था दूर
कहानी में रहना नहीं था
बोला मुझे कोई और बुला रहा है
उसकी कहानी में
कुछ समझ नहीं आया
क्या समझाऊं
क्या बताऊं
की वो बस रुक जाय
फिर बैठी उदासीन
समझ ने आ कर समझाया
किरदार अपनी भूमिका निभा कर रुकते नहीं
उसका किरदार मुझे आगे बढ़ने का था
कहानी लिखने पर मजबुर करना था
और जब शुरु लिखना किया
तभी वो चल दिया बस यूं ही चल दिया
अब है इंतज़ार उसकी जगह कोई और फूल सजाने को
ढूंढ रही किरदार नए पुराने को
मिलते ही करूंगी पूरी कहानी को
इंतज़ार है
बस इंतज़ार
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