मोहब्बत पे लोग हँसने लगे हैं,
दिल पे खंजर चुभाने लगे हैं ,
नाम है इसका जहर जिंदगी ,
जाने क्यों लोग सताने लगे हैं,,
मोहब्बत पे..................
उलफ्त ही नफ़रत है महज जिंदगी,
जाने क्यों लोग अब जलाने लगे हैं ,
बड़ी गुरबत की हाल में पड़ा हूँ मैं,
जाने क्यूँ अब ये जिंदगी रूलाने लगे हैं
अंजाम देखो वफा सादगी की ,
यह कह कर जमाना चिढ़ाने लगे हैं,
जनाजा उठाकर ये लोग सारे ,
जाने क्यों अब पत्थर मारने लगे हैं,,
मोहब्बत पे.............
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