आज रूठा हुआ इक दोस्त बहुत याद आया,
आज गुज़रा हुआ कुछ वक़्त बहुत याद आया,
मेरी आँखों के हर एक अश्क़ पे रोने वाला,
आज जब आँख ये रोए तो बहुत याद आया,
जो मेरे दर्द को सीने में छिपा लेता था,
आज जब दर्द हुआ मुझको बहुत याद आया,
जो मेरी नज़रों में सुरमे की तरह बसता था,
आज सुरमा जो लगाया तो बहुत याद आया,
जो मेरे दिल के था क़रीब फ़क़त उसको ही,
आज जब दिल ने बुलाया तो बहुत याद आय...!!!!!
♥️संतोष गुड़िया♥️
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