QUOTES ON #WISH

#wish quotes

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14 JAN 2021 AT 11:39

उड़ते पतंग सा है वो
चाहें कितनी बुलंदियाँ
छू ले.....
उसकी डोर मुझसे..
जुड़ी रहती है।।

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23 MAR 2021 AT 11:52


शहर में पेशा नही धंधा था कोई शायद.
तभी मलहम बेचने वाले जमीर बेचते रहे.

दर्द में दिलासा प्याला झूठ का अंकुर .
धर्म के नाम पर लोग खुदा बेचते रहे.

खादी लिबास में शरीफ कौन चोर कैसा.
बेचने वाले तिरंगे की आढ में देश बेचते रहे.

सुराख कर रहा कोई मेरे देश की दिवार में.
कागज पे छाप के नक्से रहबर घर बेचते रहे.

सरहद'मिट्टी'अरमां टुकड़ो में चले गये बालिद .
दलाल आधा हिन्दू आधा मुसलमां बेचते रहे.

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2 JUN 2019 AT 14:50

We all want to go back and do things differently. We'd all be wealthier, healthier, prettier. We'd all have the life we want, if only we could go back and do things differently. If only.

But the real question is, are you doing things differently now?

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1 JAN 2021 AT 11:50

आज एक और साल बीत गया,
हमारे जीवन रूपी इमारत से..
एक और ईंट गिर गया।।
लेकिन ये नया साल फिर आया है..
एक उम्मीद साथ लाया है..
एक मधुर संगीत का होगा आग़ाज़..
जिससे सबका जीवन होगा आबाद।।
𝙷𝙰𝙿𝙿𝚈 𝙽𝙴𝚆 𝚈𝙴𝙰𝚁

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27 JUL 2020 AT 12:38

हमारे दिल की इस मिल्कियत पर
सिर्फ तेरा ही राज होगा,

हमसफर तो तुम ही बनोगे,
दूल्हे के रूप में तेरे ही सर पर

सेहरे का ताज होगा !

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18 FEB 2019 AT 17:47

हुआ यूं कि मैंने
तुम्हें देने को
बोया प्यार
उसको सींचा, इतना सींचा
कि इस पागलपन से सड़ गया प्यार।
फिर मैंने मोहब्बत की बेल लगाई
उसको सहारा दिया, बांधा, इतना बांधा
कि बंदिशों में घुट, मर गई मोहब्बत।
अंततः मैंने उगाया इश्क़
इश्क़ अभी छोटा था
कि उसको खा गए शक के कीड़े।
प्यार, इश्क़, मोहब्बत
पूरी तरह जी नहीं पाते।
यहां होना तो ये था कि
मुझे बोना था तुम्हें,
सींचना था तुम्हें
जगह और सहारा देना था
फिर फैलती तुम्हारी बेलें
फिर तुम देते मुझे प्रेम
और मेरी मेहनत सफल हो जाती।

- सुप्रिया मिश्रा


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24 MAY 2021 AT 23:39

In a world of
darkness and despair,
I wish that
you never lose hope.

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31 DEC 2017 AT 21:25

हर खेत, हर गाँव, हर शहर, का मौसम खुशहाल हो जाए..

कुछ ऐसा कर खुदा ,कि ऐसा हमारा साल हो जाए..

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27 JUN 2018 AT 22:45

And if I ever fall in love, again.


I don't wanna fall, alone.

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25 MAY 2017 AT 12:31

Do wishes awaken
To fulfilment
When we breathe
A hundred prayers
Into a single sigh?

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