QUOTES ON #WAIT

#wait quotes

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9 NOV 2019 AT 2:44

Sometimes, how long you wait cannot be measured in numbers!

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3 JAN 2020 AT 16:05

देर तक देखते रहे
हम उनसे मिलने तड़पते रहे
न वो आये
न उनकी कोई खबर
फिर भी राह
देर तक देखते रहे
आने का शौक शायद उन्हें नहीं था
पर हम तो पागल थे न
उनसे वफ़ा कर बैठे
ओर उनकी वेवफाई की आदत को
देर तक देखते रहे

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27 DEC 2019 AT 20:14

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11 SEP 2018 AT 21:29

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12 JUN 2019 AT 19:00

getting touched the same way
this wind does to every inch of my body.

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14 SEP 2018 AT 14:59

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19 MAR 2019 AT 20:39

Coffee cup reading ( नज़्म/نظم)

उसे मैसेज तो भेजा है
के कॉफ़ी पर मिलो मुझ से
वो आ जायेगी तो अच्छा
मैं पहले सिर्फ़ दो कॉफ़ी मँगाऊंगा
मैं कैपेचीनो पीता हूँ
वो कैसी कॉफ़ी पीती है
इसका अंदाज़ा तो उसके आने पर होगा…

हमारे पास तो बातें भी कम हैं
सो कॉफ़ी जल्द पी लेंगे।
जो उसके कप में थोडा झाग कॉफ़ी का बचा होगा
मैं उसकी शेप को पढ़ कर उसे फ्यूचर बताउँगा
बताऊँगा उसे मैं
कैसे वो मुझ जैसे इक लड़के की दुनिया को बदल देगी…
(उसे मालूम होगा क्या? के कॉफ़ी कप की रीडिंग का तरीक़ा ये नहीं होता ?)

मैं कैफ़े आ चुका हूँ...
...वो भी रस्ते में कहीं होगी
बहुत से लोग कैफ़े आ के पढ़ते लिखते रहते हैं
मुहम्मद अल्वी की नज़्में तो मैं भी साथ लाया हूँ
ये होगा तो नहीं फिर भी, वो आई ही नहीं तो फिर
इन्हीं लोगों के जैसे मैं भी पढ़ कर वक़्त काटूँगा।

उसे आने में देरी हो रही है
मैं इक कॉफ़ी तो तन्हा पी चुका हूँ
ज़रा सा झाग कप में है जिसे देखो तो लगता है
के इक लड़का अकेला बैठ कर कुछ पढ़ रहा है।

तसल्ली दे रहा हूँ अब मैं ख़ुद को
ये मेरी शाम का फ्यूचर नहीं है
... के कॉफ़ी कप की रीडिंग का तरीक़ा ये नहीं होता…

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13 OCT 2019 AT 4:52

Your time is coming late
Patience is the gate...

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31 MAR 2019 AT 16:49

यूं वक़्त ना गुज़ारा करो हमसे दूर
ये खामोशियां हमें चुभने लगी हैं,
कैसे करें जज्बातों को बयान कि
आंखों में नमी और धड़कने ज़रा बढ़ने लगी हैं।

आपके लौटने के इंतजार में
हमारा दिल और फिजाएं ये तरसने लगी हैं,
नाजाने कब होंगे आप हमसे रूबरू
कि सबर की ये सरहदें अब टूटने लगी हैं।

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11 DEC 2018 AT 17:09

इंतेज़ार

वक़्त पिघल कर
पारे की इक बूँद बना है
और इस बूँद के अंदर मैं हूँ
भाग रहा हूँ
पारा यूँ ही अपनी जगह पर लुढ़क रहा है
मेरे अगले पाँव पे माज़ी
मेरे पिछले पाँव पे फ़रदा
इन दोनों के बीच रबर के जैसा मेरा हाल खिंचा है
मेरे चारों जानिब घड़ियाँ लटक रही हैं
एक ही पल में लेट भी हूँ मैं, वक़्त पे भी हूँ
और वक़्त से पहले भी हूँ
सोच रहा हूँ, वक़्त का मालिक
गोल्फ़ की छड़ी ले कर आये
वक़्त की बूँद को गेंद समझ ले
और इक लंबा शॉट लगाए
ऐसा शॉट के गेंद वक़्त की
ब्लैकहोल में 'इन' हो जाये...

वक़्त का पारा, वो ग़ुब्बारा
ब्लैक होल में छोड़के जब मैं
दूसरी जानिब बाहर आऊँ
तुमको पाऊँ।

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