Akash Rajput 20 JUL 2020 AT 19:49 Meri kahaani me bhi Vasl ka daur aayegaDekh lena...Vada koi or karega milne koi or aayegaDekh lena...Meri kahaani me bhi Vasl ka daur aayega - Amit Mishra 27 APR 2018 AT 21:59 शब-ए-इश्क में जब वो हद से गुजर गया होगारंग-ए-हया से फिर रुख्सार निखर गया होगाजुल्फों के साये में कुछ वक़्त तो गुजरा होगानज़रें मिलाके दो पल को वहीँ ठहर गया होगासुर्ख़ लबों पे बोसों की बारिश जो हुई होगीमय का हर घूँट हलक में उतर गया होगाबाँहों के घेरे जब ता-कमर पहुँचे होंगेकैद में उनकी फिर महबूब बिखर गया होगाचाँदनी रात जो गुजरी होगी वस्ल की आगोश मेंसहर होते ही 'मौन' फिर जाने किधर गया होगा - Pragya Pandey 30 OCT 2021 AT 20:26 सदियों से घुलती रहींनदियां समंदरों मेंखारे समंदर ना मीठे हुएना नदियों की प्यास बुझी। - Abhinav Basu 4 DEC 2020 AT 15:49 Ab kya zikr kare iss bekhudi ke alam ka..Jasbaat v ab rooth gaye haal-a-baya karne ka..Vasl ke intezaar mey baithe the hum aashiq ... Bas yu samjhiye ab yehi anjaam hain iss mohabbat ke afsane ka..... - Abhay's Writings 11 MAY 2023 AT 13:06 हिज़्र की रात को शब़ -ए- वस्ल लिखा है हर हर्फ़ के साथ इश्क़ का पल लिखा हैतेरे तसव्वुर में जो कई अशआर लिखे थेआज उनको मिलाकर एक ग़ज़ल लिखा है - Deepak Meena 18 APR 2020 AT 18:46 वो उजाले का राही इक सफ़र को चलाघने अंधेरों में ढूँढने ज़फ़र को चला.....।ख्वाब होता नहीं उन ख्वाबों को मुकम्मल वो करे, वस्ल उसका उन ख्वाबों के असर को चला............।आज भी वो उस क़ामत की कश्मकश में उलझ रहा, वस्ल उसका उस क़ामत के क़हर को चला................।वही है वो आज भी जिसके रास्तों पर उन्माद थेवो उन्मादों को भुला कर नए सहर को चला....। - Monika Raj 29 OCT 2018 AT 20:23 Mohabbat karke, wo, firaaq se, darte h.. Vasl ki, baat kriye, ta-umr, sath chalte h! - साहिबा राज 9 JUL 2021 AT 16:31 मेरी नफ्स में छाया कैसा तेरा तस्सवूर हैरूखसार पर मेरे हिज्र में भी वस्ल का नूर है... - Shubham Saini "raahi" 1 FEB 2020 AT 15:31 लिखें है हर्फ़ तुमने, कोई सफ़हा भी पलटिए,हुई है गर्द कहानियाँ सभी की..…...हुए हैं खम हम-तुम भी, ज़रा महव-ए-दुआ तो करिए.....बे-वस्ल हैं हम तो, आएगी रोज़-ए-जज़ा जल्द हीहो अगर मुख्तसर सी वस्ल भी, तो ज़रा इंतेज़ार करिए - Arti Upadhyay 12 JUN 2021 AT 19:44 वस्ल की रात में वो हिज़्र - ए - बहाना लिए बैठे थे,होने आए थे वो हमारे , सांसो में किसी और को समाए बैठे थे।। -