QUOTES ON #URDUPOETRY

#urdupoetry quotes

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10 OCT 2020 AT 7:52

इसी ख़ातिर मैं तनहा रह गया हूँ.
मुलाक़ातों की अब फुर्सत नहीं है.
اسی خاطر میں تنہا رہ گیا ہوں.
ملاقاتوں کی اب فرصت نہیں ہے.

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1 AUG 2019 AT 2:02

ज़हन का कमरा जाला जाला हो चुका है
हर पल मानो ज़हर का प्याला हो चुका है

बचपन की बस इक दो यादें आती हैं
बाकी सब कुछ काला काला हो चुका है

- बिक्रम बमराह

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12 AUG 2019 AT 9:09

जिस्म मेरा है ठहरे पानी का
है मगर पैरहन रवानी का 
جسم میرا ہے ٹھہرے پانی کا
ہے مگر پیرہن روانی کا
तुम हो सूरजमुखी में बंद कहीं 
और मैं  क़ैदी हूँ रातरानी का 
تم ہو سورج مکھی میں بند کہیں
اور میں قیدی ہوں راترانی کا
नींद ! अब आ  थकन की राहों से  
रास्ता बंद है कहानी का 
نیند اب آ تھکن کی راہوں سے
راستہ بند ہے کہانی کا
ये मुहब्बत में तुम जो रोती हो 
ये ही झरना है जाविदानी का
یہ محبت میں تم جو روتی ہو
یہ ہی جھرنا ہے جاودانی کا
मेरे माशूक़ हो गए हैं गुम
हो बुरा दिल की बेकरानी का 
میرے معشوق ہو گئے ہیں گم
ہو برا دل کی بیکرانی کا

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8 AUG 2020 AT 20:57

खत भेज के खता कि हमने ,
दिल तोड़ के सजा दी तुमने ।

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7 APR 2020 AT 15:25

तेरे मिलने की आस
आज भी जिंदा दिल है

आसमां को छुने की फिराक
आज भी जिंदा है मुझमें ..

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23 FEB 2020 AT 14:49

Tere bina saath guzare hue lamhon se dosti ki hai maine,
Tere bina uss chand se bhi baatein ki hai maine....
Yuhn toh har koi karna chahata hai mohabbat,
Magar tere bina sirf tujhse mohabbat ki hai maine....

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22 SEP 2018 AT 13:11

वो फूँक रहा है जान मुझ में फिर से ज़रा ज़रा
तुम कहना कहाँ है रुकना, कहाँ पे साँस लेनी है

- दीक्षा

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3 APR 2020 AT 11:46

III

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15 APR 2020 AT 17:38

तेरी तारीफ़ में और क्या लिखूँ‌‌ मैं
ख़ुदा की सबसे अफ़ज़ल तख़्लीक़ है..!

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27 FEB 2019 AT 10:31

झुर्रियाँ हैं जिस्म में लेकिन ग़ज़ब रफ़्तार है
क्या करे वो शख़्स उसके शानों पे परिवार है

बात ऐसी तो नहीं थी की मरासिम ना रहे
पर अना थी सबमें तो अब घर में इक दीवार है

सुर्ख़ लब नाज़ुक कमर औ नाफ़ गहरी खाई सी
सिर्फ़ लड़की है नहीं वो हुस्न का बाज़ार है

घर के छप्पर के लिए इक बाँस आगे ना बढ़ा
बाँसुरी बनने को सारा दश्त ही तय्यार है

मर के भी ज़िन्दा हैं कुछ कुछ जीते जी ही मर गए
सबके जीने और मरने का अलग मेआर है

रोयेगा बूढा शजर ये बात हमने मान ली
पर परिंदे आएंगे इस बात से इंकार है

बात का मेरी यकीं करने से पहले सोचना
रंग बदलते गिरगिटों सा ही मेरा किरदार है

चीर कर सीना समंदर का दिखाओ 'ख़ाक' अब
बाद मुद्दत के तेरे हाथों में अब पतवार है ।।

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