कि कब मिलेगा रोजगार अब तो मच्छर भी एक दूसरे से कहते हैं जनाब, इसके पास जाएंगे तो पक्का मारे जाएंगे; क्योंकि इसके पास मच्छर मारने के सिवा और कोई रोजगार ही नहीं है।।
बस खुद का ही रख पाता ख्याल हूं, जाने कितनों का ताना सुनता हजार हूं, बस सरकारी नौकरी का करता इंतेज़ार हूं, झूठे वादों पर विश्वास करता लाचार हूं, हां मै एक बेरोजगार हूं। अपनों से दूर सबसे अनजान हूं, रहता बेसुध पढ़ाई करता बेशुमार हूं, घरवालों को हमेशा करता निराश हूं, आंखें नीचे और न हीं निकलता घर के आस पास हूं, हां मै एक बेरोजगार हूं। हां मैं एक बेरोजगार हूं।