QUOTES ON #UMMED

#ummed quotes

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8 APR 2018 AT 7:41

जाने क्यों हर रोज बस एक ख़्वाब आता है
बोसे लेने को इस जमीं पे माहताब आता है

सवालों की फ़ेहरिश्त बड़ी लंबी हो चली थी
दूर फ़लक से उन सभी का जवाब आता है

अँधेरे की एक चादर लिपटी हुई है बदन से
डर को भगाने खिड़की पे आफताब आता है

कई रोज गुजरे इन मायूसियों में कैद हुए
तोड़ने जंजीरें सभी अब इंकलाब आता है

नाउम्मीदी के भंवर में अब उलझना कैसा
बढ़ाने कश्ती मेरी हौसलों का सैलाब आता है

निकला जो 'मौन' बुलंद इरादे साथ लेकर
लौटकर हर शख्स फिर कामयाब आता है

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7 MAY 2021 AT 10:54

Dil zid lagaye baitha he
Ki tum hume kyun na mile
Dekhte dekhte kisi aur ke ho gye ho
Syd yehi khabar hume na mile

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1 JUL 2020 AT 15:29

चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना....
होती मेहनत बेकार नहीं .....
जो गिरकर भी कोशिश करते.....
होती न जीवन में हार कभी.....
इस "पीर "को अब पिघलने की
कोशिश करते रहना यारो.......
बिना पिघले हिमालय से .....
गंगा की होती ललकार नहीं ....
अब तो अंधेरे से भी नफरत
ना रही कोई.........
हौसलों के चरागों से कभी.....
होती तकरार नहीं ........

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2 JUL 2020 AT 0:32

जिसके आगे समुंदर भी प्यासा है,
जो बहते आंसुओं में उम्मीद की आशा है।
उस प्यार की क्या ही परिभाषा है,
वो तो अपने आप में एक भाषा है।।।

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20 NOV 2019 AT 9:29

जब तक निगाहें बिछा सकते हो बिछाना आप क्योंकि इंतजार करना ही मोहब्बत का आखिरी वार नहीं है

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3 MAY 2021 AT 9:18

कोई भी रास्ता बहुत सोच कर चुनूँगी मै
अब की बार अकेली सफर करूंगी मै....

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1 JAN 2019 AT 18:26

उम्मीदों की शाम गुजरने को है
काश तुम आते
तो शायद हम भी नया साल मनाते

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12 APR 2019 AT 17:45

एक तरफ़ा ही सही,प्यार प्यार होता है,
किसी के इंतज़ार मे,दिल सुबह शाम रहता है।
चाहत बेशुमार रखकर भी,पाने की चाहत न करो,
किस्मत और उम्मीदों से बढ़कर,प्यार तो बस प्यार होता है।
माना के दर्द देता है बहुत फिर भी,
उसे खुश देखकर, हर दर्द कम सा लगता है।
कहने को नाकामयाब रह जाती हैं सच्ची मोहब्बते,
बस मे नही कुछ होता,न दिल पर इख़्तियार होता है।
न कोई हक,न इंकार का डर,
किसी को न पाकर भी,खो देना होता है।
नही गुंजाइश किसी कशमकश की यहां,
अधूरा इश्क,टूटे ख्वाबों की सच्चाई होता है।
एक अंजाना सा सुकून भी है शामिल,
न शिकायत होती है,न इल्ज़ाम ए बेवफाई होता है।
उदासियों मे कुछ नहीं रखा,
इंसानियत को निभा जाए,वही इंसान होता है।

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20 OCT 2019 AT 19:50

शहर-ए-मोहब्बत जाता ग़र मेरा ठिकाना होता
फिर तो अपना वहाँ रोज़ ही आना जाना होता

एक ख़्वाहिश थी अपनी ता-उम्र जो बनी रही
बेहतर होता के कोई हमारा भी दिवाना होता

जिस को भी दर्द मिला उसके ही हमदर्द मिला
नाम-ए-बेवफ़ा जो न होता बा-वफ़ा जमाना होता

लेकर बहुत फेर चला उजियारे और अंधेर चला
कूँच करता उसके शहर से उसे ग़र न पाना होता

क़ीमत-ए-ज़ाम वो क्या जाने जो कभी नहीं पीते
एक शराबी से पूछो क्या क़ीमत-ए-पैमाना होता

वादा-ए वफ़ा सब करते हैं पर नही कोई निभाता है
बेवफ़ा को ख़त्म करता जो बेहतर मेरा निशाना होता

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4 AUG 2020 AT 10:56

वो तुम्हे खुद ही दर्द देंगे और बोलेंगे
"खुश रहो "🙄

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