माना के ऐसा कुछ भी नहीं जो तुम नहीं जानते,
मेरे हर एहसास को मुझसे ज्यादा तुम हो पहचानते,
फिर भी एक राज़ है जिस से आज पर्दा उठाते हैं,
जो है लड़ने की वजह,वो गलतफहमी मिटाते हैं,
जो बातें लगती हैं तुम्हें ताने और एहसान मेरी,
वो होती है एक कोशिश खामोशी तोड़ने की तेरी,
ना मुझे चुभती हैं कड़वी बातें तेरी,
ना बुरा लगता है लड़ने से तेरे,
तुम रहते हो खामोश तब बहते हैं आंसू मेरे,
तुम्हारी वो खामोशी वो घुटन मैं पहचानती हूँ,
कहोगें नहीं किसी और से कुछ भी तुम,ये मैं जानती हूँ,
इसलिए ही मार मार के ताने तुम्हें उकसाती हूँ,
तेरी उदासियों से दिल मेरा उदास होता है,
याद कर के तुझे जा़र जा़र रोता है,
तुम दे दो चाहे मुझे इल्ज़ाम हज़ार,
मैं तो हँस के सह लेती हूँ सब नखरे तेरे,
खुद ही कहते हो कि"आप समझती नहीं,करता हूँ इमोशनल ब्लैकमेल चुप करने को तुम्हें"
पर इतनी सी बात समझे कभी तुम भी नहीं,
कहते हो उल्टा सीधा खुद को,तो गुस्सा आता है मुझे,
इस बात से ही लड़ाई बढ़ती जाती है,
फिर तेरे तानो की बौछार शुरू हो जाती है,
मैं तो देख के युद्ध शैली तेरी,रख देती हूँ सब अस्त्र शस्त्र मेरे,
लड़ने के बाद एक दूजे की याद इतना तड़पाती है,
घंटों की लड़ाई सब धरी रह जाती है,
यही लड़ाई हमें एक दूजे की अहमियत का एहसास कराती है,
वही गुस्से का अंत और प्यार की शुरुवात कराती है,
यही तुम्हारी भी समझ का फेर है जो तुम कहते हो मुझे..
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