QUOTES ON #TREE

#tree quotes

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21 MAR 2021 AT 18:33

य़ह
हरे-हरे
जो दिख रहे हैं
य़ह हमारे पूर्वज हैं
जो बाहें फैलाए खड़े हैं
हम सबको अपना आश्रय देने
बिना किसी भेदभाव के, निःस्वार्थ
खड़े मिले हमें हर राह में युगों-युगों से
य़ह यूँ ही निःस्वार्थ रहेंगे जीवन मरण तक
एक इसी आस में कि कोई इन्हें भी अपनाए
छोड़कर कुल्हाड़ी थोड़ा सा ही सही अपनत्व लाए
इन्हें क्या चाहिए होता है, बस कुछ सालों की देख-भाल
बदले में तुम्हें एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी झूला झुलाएंगे सालो साल
प्रण एक
वृक्ष तो
हर साल
लगाएंगे
समझना
होगा हमें
यही रिश्ता
हमे रखेगा
जीवित एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक
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17 MAR 2021 AT 12:53

सड़कें चौड़ी करने की क़वायद से थरथरा गए हैं शजर सारे

धागे मन्नत के बंधे हैं जिन पर सिर्फ दरख़्त वो बेफ़िकर है

--@Disha 'Azal'

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16 MAY 2019 AT 23:05

पंद्रह दिन लगते हैं
चांद को रात हो जाने में।

मोहब्बत के लिए
एक पक्ष ज़रूरी है।

- सुप्रिया मिश्रा

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1 AUG 2019 AT 22:04

कड़ी धूप
बारिश, आँधी-तूफान का
असर नहीं पड़ता
पुराने पेड़ों पर,
पड़ता है तो बस
अकेलेपन का !

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25 FEB 2019 AT 22:05

He told her that,
" whenever you see a tree cut down,swear now you will plant a tree again."

She smiled and replied that,
" sorry but i can't plant another love tree in my heart."

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21 JAN 2021 AT 20:08

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17 NOV 2019 AT 16:00

दादाजी ने पिताजी को बाग बगीचों की हरियाली दिखाई। पिताजी हमें हरियाली दिखाने पार्क ले गए।
हम अपने बच्चों को छत पर लगे पौधे दिखाएंगे।

मुझे चिंता है उसके बाद वाली पीढ़ी की जिन्हें पेड़ पौधे देखने के लिए किसी म्यूजियम जाना पड़ेगा।

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11 JUN 2021 AT 10:16

वृक्ष से धरती को सजायें
आओ वृक्ष लगाएं हम
मत करो आघात प्राकृत पर
मिलकर आओ संवारे हम
मिलकर वृक्ष लगाएं हम
पर्यावरण स्वच्छ बनायें हम
धरती का श्रृंगार हैं वृक्ष
इसे ना काट हटायें हम
ये देता शीतल छाया है
आओ वृक्ष लगाएं हम
जब तु वृक्ष को काटते हो
रो उठता है धरती - गगन
मिलकर धरती को सजाये
आओ वृक्ष लगाएं हम
झूम कर बादल को बुलाता
बादल हैं इसका प्रियतम
वृक्ष हवाओं को शुद्ध बनाती
पुष्प सुगंध का करती अर्पण
वृक्ष से धरती को सजायें
आओ वृक्ष लगाएं हम

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30 APR 2019 AT 4:00

जब एक अंकुर फूटता है
तो पीछे बहुत कुछ छूटता है
संकीर्ण मान्यताएँ , संकुचित दृष्टिकोण…

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पेड़ मत काटो डावळां, हालात बिगड़ जावेला
आवन वाळी पीढियां, फ़िर किकर हा ले पावेला
कईं मिनख, कईं जिनावर, सब घुट-घुट अन मर जावेला
रूंख लगाओ धरती पर, हरियाळी प्राण बचावेला

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