एक रोज वो खिलखिलाती हुई
आ पहुंँची मेरे पास में,
जब नाम पूछा उसका मैने
'तन्हाई' सा कुछ बोल गई!
कुछ पूछती मुझसे भला
तेरा नाम उसे मैने बता दिया,
एक राज़ की ये बात थी
तन्हाइयों से कुछ हो गई!
अब डर नहीं किसी बात का
मैं डरती नहीं इस तन्हाई से,
मायूस मुझ को देखकर
मेरा हाल है मुझसे पूछती!
इस जिंदगी की राहों पर
इक साथ मुझको कुछ यूँ मिला,
जब बैठती हूँ तन्हाई में
मिल जाती हूँ खुद से भला!
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