म्हारी राजस्थानी - प्यारी राजस्थानी
ना स्वर-शास्त्र री खामियां, ना व्याकरण री चूक
अमृत सी मनभावन, आ बोली घणी अमूक
सदाचार, सम्मान, अर प्रेम री निशाणी है
हर एक हिवड़ा रे नेड़ी, म्हारी राजस्थानी है
बोल राजस्थानी रा, सीधा हिवड़ो पार करे
मिठास ईण री, मीठो, पूरो जग संसार करे
वैर तोड़ावे पल भर में, आ ऐड़ी प्यारी वाणी है
हर एक हिवड़ा रे नेड़ी, म्हारी राजस्थानी है
साल बीत गया पंद्रह सौ, पर मिठास कदे कम पड़ी नहीं
उपबोलियाँ इणरी अजे तक आपस में लड़ी नहीं
हर देश, हर प्रान्त में, आ जाणी-पहचाणी है
हर एक हिवड़ा रे नेड़ी, म्हारी राजस्थानी है
जित्ती बोलां उत्तो ही, स्वाद बढ़तो जावे
क्रोध री अग्नि में भी आ, शीतलता बरसावे
अपार मिठास री एक अनमोल खाणी है
हर एक हिवड़ा रे नेड़ी, म्हारी राजस्थानी है
जिण जिव्हा माथे राजस्थानी, है बात उणरी और
हर भाषा है महान पर, राजस्थानी सिरमौर
सब सुणनी चाह्वे बारम्बार, आ इतरी सुहाणी है
हर एक हिवड़ा रे नेड़ी, म्हारी राजस्थानी है
हर एक हिवड़ा रे नेड़ी म्हारी, प्यारी राजस्थानी है....
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