QUOTES ON #SOCIALISSUES

#socialissues quotes

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7 JAN 2020 AT 20:56

ऐसा क्यों?
हमारा समाज रेप मत करो कि बजाय
रेप से बचो सिखाता है।
एक पोर्न स्टार को इस सेलेब्रिटीज का दर्जा तो दे देता है,
पर एक रेप पीड़िता को आम इंसान का दर्जा भी नहीं दे पाता है!!
क्यों?

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22 APR 2020 AT 9:31

"मैं काला"
मेरा रंग भी काला, मेरा रूप भी काला..
मेरा अंग भी काला, मेरा ढंग भी काला..
मेरा वस्त्र भी काला, मेरा नेत्र भी काला..
मेरा समय भी काला, मैं पीता चाय भी काला..

और इतेफ़ाक से आज तो
मेरी कलम भी काली और उसमें श्याही भी काली..
ये दुनियाँ भी काली, यहाँ की रातें भी काली..
यहाँ के लोग भी काले और उनके करतूत भी काले..
यहाँ के रिश्ते भी काले, यहाँ के वादे भी काले..

पर इन सब काली चीज़ों में अच्छी बात
ये है कि मेरा तो सिर्फ नाम ही है "काला"..
ना मेरा दिल है काला, ना मेरा मन है कला..
ना मेरी जुबाँ है काली, ना मेरी सोच है काली..

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11 OCT 2020 AT 9:08

"अभिव्यक्ति की आज़ादी" तक ही
'आज़ाद' है हम
वरना तो बस 'टुकड़ो' में
'बर्बाद' ही है हम

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7 FEB 2020 AT 17:41

"एक किन्नर"

ईश्वर की बनायी एक शख़्सियत हूँ मैं
सबसे अलग़ सबसे जुदा लेकिन रखती एक अहमियत हूँ मैं
हाँ, किन्नर हूँ मैं...
समाज में इज़्जत नहीँ है मेरी, लोग मुझे देख हँसा करतें हैं
लेक़िन फ़िर भी उन्हीं लोगों से पैसे माँग कर अपना पेट भरती हूँ मैं
हाँ, किन्नर हूँ मैं...
कभी सड़कों पे तो कभी ट्रेनों में तालियां बजाती हुई मिल जाती हूँ मैं
इसलिए नहीं की वही मेरा घर है बल्कि इसलिए की मेरा कोई घर ही नहीं है
हाँ, किन्नर हूँ मैं...
किसी के घर ख़ुशियाँ आने वाली हो तो सबसे पहले जान जाती हूँ मैं
बिन बुलाये ही उसके घर अपना आशीष देने पहुँच जाती हूँ मैं
और गर्व से कहती हूँ - "हाँ, किन्नर हूँ मैं..."

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27 JUL 2019 AT 12:01

मुझे चांद समझने,की भूल मत करना
मैं उस पर लगा महज एक -दाग हूं.
बादल की पवित्र बारिश नहीं मैं,
शमशान में पड़ी एक -अछूत राख हूं
मुझे ख्यालों से भी दूर रखते हैं, वो..
शायद, मैं इतनी नापाक हूं।

व्यक्तित्व को तुम मेरे समझ नहीं पाओगे,
मैं उस पर लगा एक -अभिशाप हूं....
जायज नहीं मैं, महज एक
गंदे कृत्य का नाजायज पाप हूं..

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21 JAN 2018 AT 17:11

♾Pulling innocent lives into darkness,more deeper,
The memories that will haunt forever...
From luring kids,to abducting adults,
From torturing them,to killing them...

Covering their body with permanent dirt,
How do these CREATURES find mirth?
Leaving girl species with fear unknown,
Calling them CRUEL is an understatement overthrown...

Everyday,new female faces on news,
Tortured,raped and abused..
Some survive,but with a stain,
Dying everyday with a weird pain...

Yet society blames females,
For attracting such vague males...
Isn't dressing a right..
Can't such males control their sight?
Why females always taught to be in limits,
When these creatures roam off limits..?

How will faith in humanity exist,
While these creatures under name of 'MAN' exist..
In the end,
Unanswered questions and ruined lives are only what remain...♾

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29 SEP 2020 AT 10:02

social media ko hum
control Kar rahe hai ya
social media Hume ?



(Full piece in the caption ..)
must read

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28 MAY 2020 AT 9:17

"एक स्त्री का सवाल"

क्यों ये लाल रंग आता है...?
क्यों ये चादर पे निशान दे जाता है...?
क्यों मुझे ही रोना पड़ता है...?
क्यों मुझे ही सहना पड़ता है...?

क्यों मैं अपवित्र हो जाती हूँ...?
क्यों मैं अपशगुनी कहलाती हूँ...?
क्यों शरीर में सुस्ती भर जाती है...?
क्यों अंताड़ियाँ दर्द से चीखती है...?

क्यों अपने ही घर में अलग-थलग रहना...?
क्यों ये ना छूना वो ना छूना...?
क्यों ये सैनिट्री पैड का इस्तेमाल करना...?
क्यों मन्दिर में प्रवेश ना पाना...?

क्यों मेरा ही मज़ाक बनता है...?
क्यों मुझे ही दोषी ठहराया जाता है...?
क्यों इस लाल रंग से इतना घृणा...?
जबकि इसी रंग ने संसार को जन्म दिया...?

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29 JUN 2019 AT 17:32

चीख रहा बचपन।।
गुमनाम सी गलियों में,
कहीं कारखानों में,
तो कहीं सड़को पे,
चीख रहा बचपन।।
मजदूरी के बोझ तले,
धूल और धुएं के बीच,
कहीं अंधेरों में
चीख रहा बचपन।।
बाल मजदूरी के जंजीरों में।।

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6 SEP 2020 AT 17:18

बेदाग सा चरित्र ,आज
कई दाग़ों से भरा है ,
चोट जो की थी तुमने कल ,
मगर जख्म आज भी हरा है ,
रूप इंसान का धर ,
अंदर हैवानियत पड़ा है ,
ढ़ेर हुआं क्यों नहीं अब तक ,
क्यों आज भी तु खड़ा है !!

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