ख़ुद से मिल लेना ,सैलाबों की भीड़ में
ख़ुद से - ख़ुद को सुन लेना ।।
ये रफ्तार भरी दुनिया मे, पहाड़ो से कभी मिल लेना
पेड़ो की छांव तले, भीड़ों से दूर भले
सुकून से खुद को चुन लेना ।।
सफरनामे की फिक्र में, छोड़ न देना अपनो को
अपना लेना सबको तुम,न गैर किसी को कर देना ।।
सिद्दतों से निभाना हर रिश्ता तुम,चाहे खुदसे हो वो,
या हो कही गैरों से,दुनियादारी में पड़कर कही तुम भी
तन्हापन न चुन लेना ।।
जब भी कभी वक़्त मिले,खुद ही खुद से मिल लेना ।।
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