बड़े भोले हैं वो नहीं जानते हैं
कहा सबका दिल से मानते हैं।
बड़े ख़ामोश होकर देखते हैं
मगर सच झूठ को पहचानते हैं।
बड़े सस्ते में लूटा सबने उनको
अपनी कीमत वो नहीं जानते हैं।
सर पे आती बला टल जाती है
जो बुजुर्गों का कहा मानते हैं।
झूठ कितना भी सर पटक ले
जीतता सच है सब जानते हैं।
ग़ज़ल गर लड़खड़ाती है"रिया"
शेर फिर उसको सम्भालते हैं।
-