है तेरी आंखों में नशा बातों में तेरी खुमार भी है नागवार तुझे इज़हार मेरा और ना ना में तेरी प्यार भी है मैं उड़ूं तेरी चाहत में और तेरा मुझे इंतज़ार भी है हसरत है तुझसे मिलने की यह दिल मेरा बेकरार भी है चेहरा तेरा हाय अल्लाह ग़रीब मुंतजिर ए दीदार भी है कहते हो ज़हर दोगे यह पागल पीने को तैयार भी है हार बैठा दिल तुझे और जानों जिगर निसार भी है तू है तर्ज़ुमा ए मौहब्बत और तू ही इब्तिदा ए यार भी है
यह खामोश रातें अब चीखती हैं... ऐसा लगता है, मानो मुझसे मेरी सांसे छीनती हैं... ओ सनम, अब तो लौट आओ... क्योंकि तुम्हारे बिन, मेरी उम्र गुजरती नहीं सिर्फ कटती हैं...