Bhimesh Bhitre 15 JUN 2021 AT 20:01 अंदर हैसमंदर हैखामोश साबवंडर है धोके का ख़ंजर है दर्द का मंज़र है हो चुका खंडहर है दिल अभी बंजर है ना कोई रहबर है ख़्वाब भी बेघर है खामोश रहूँ बेहतर है जो हुआ मुक़द्दर है ©भिमेश भित्रे - Aishwarya rai 2 FEB 2019 AT 21:46 Mohhabat ka Samandar hoon Main, Me Sirf Kinare Par Rahne se Nahi, Iski Gehraiyon Mein doobne se Milti hoon...!!! - Ayushi Dauneriya 11 JUN 2017 AT 10:33 Kuch panne palat kar to dekho,Jise tum registaan samjhte ho,Kahin vo samandar ka kinara to nahi? - Rishi Kushwaha 🖋️ 28 NOV 2020 AT 10:56 कुछ पाने के लिए कुछ दाव पर लगाना ही पड़ता हैं प्यास बुझाने खातिर समन्दर को खुद प्यासा होना पड़ता हैं।जिंदगी की कीमत का अंदाजा तुम्हे क्या पता होगा फौजियों से पूछो जिन्हें मौत को गले लगाना पड़ता हैं ।तेरी जुल्फों में मैंने एक जिंदगी का अर्शा गुज़ार दियाये पल आते ही आंखों को ख्वाब क्यों तोड़ना पड़ता हैं ।आज के जमाने में अफवाहों का ज्यादा बोलबाला हैंसच को भी यहां कई इम्तिहानो से गुजरना पड़ता हैं ।अपनी अना में रहोंगे तो फिर मिलेगा क्या दुआ पाने के लिए मौला के सामने सर झुकाना पड़ता हैं ।भरोसे में मत रहना काले बादलों में छिप जाता हैं महताबअंधेरा फैलने से पहले ही चराग को जलाना पड़ता है ।तकदीर के खेल के आगे आखिर चली ही किसकी हैजिसको चाहा वो मिला नहीं जो मिला उसको चाहना पड़ता हैं । - Prateek Arora 9 APR 2020 AT 21:28 विशाल समंदर हो, पहचान अपनी उससे बड़ी रखना।तूफान मंज़िल में हजार हो, पैरों को वृक्ष की जड़ से मजबूत रखना।। - Fiza Siddiqui 2 AUG 2020 AT 20:14 Lazmi h tera ruthna ,Zruri h mera mnana .Jb mohabbat smundr ki gahraiyon se ho ,To zruri h in khatte mithe palo ko smbhalna. - Shashank Tripathi निहार 27 AUG 2020 AT 23:54 ये समंदर भी तेरा ही शागिर्द निकला "निहार"मुझे खुद में डूबो कर साहिल पर छोड़ गया..!! - Safarnama ZindagiKa 10 JUL 2020 AT 1:52 दर्द भी अब दर्द नही देता..थोडी खैरियत आजमाई जाय..?बेचैनी का समंदर तो तैर गये..क्या सुकून की कुछ बुंदे पियी जाय ?? - Aman srivastava 17 APR 2019 AT 13:38 डूब कर जिसमें... मैं फिर ना निकला... महबूब मेरा ऐसा...गहरा समंदर निकला... - Abhishek Bachchan 7 AUG 2021 AT 18:45 शहर...ना जाने किस शहर में हूँमैं हर एक के नज़र में हूँ ।।हर पल साँस छूट रही हैलगता है मैं समंदर में हूँ।।ना जाने किस शहर में हूँएक अजनबी सफ़र में हूँ।।भीड़ से भरी महफ़िल हैपर तन्हाई के मंज़र में हूँ।।ना जाने किस शहर में हूँहर जबान की खबर में हूँ।।नहीं पहचान रहे लोग मुझेना जाने मैं किस घर में हूँ।।ना जाने किस शहर में हूँमकानों से घिरे भँवर में हूँ।।नींद टूटी तो पता चला किमैं तो अपने ही बिस्तर में हूँ।।...😴 -