लौट आई....
महफ़िल-ए-दर्द में मैं आँसू बहा के लौट आई,
बीते कल की क़बर पर मैं अफ़सोस मना के लौट आई।
सफ़र का मज़ा मंज़िलो में कहा,
मैं इस बार फिर आधी डगर से लौट आई।
वोह चाहते थे मुझसे जुदा होना,
मैं ख़फ़ा होकर उनकी राहों से लौट आई।
मिलने की जहाँ सब दुआएँ करते हैं,
मैं तनहाई के वास्ते उस जगह से लौट आई।
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