निगाह तेरी मयखाना, लब पैमाना बन गया,
मुहब्ब़त के मरीजों का, दवाखाना बन गया,
तुमने छु दिया मुरझाई ये तबीयत खिल गई,
आगोश मेरा, खुशियों का ठिकाना बन गया,
चली जो तीर-ए-हुश्न, घायल सब्र मेरा हुआ,
ये दिल जैसे, क़ातिल का निशाना बन गया,
तुझसे दिल क्या लगाया, चर्चा सरेआम हुई,
बदनाम हुए बेक़दर कि अफ़साना बन गया,
कम नही हैं, मुहब्ब़त को गुनाह कहने वाले,
आँखे चार क्या हुई दुश्मन ज़माना बन गया..
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