(*दंगों के आड़ में...1)
नंगी तलवारों के साथ,
एक झुंड वो आया था।
बांध मुझे कुर्सी में,फिर,
दरवाजा वो लगाया था।
बांह पकड़कर खींचा उसको,
फिर दुपट्टा लहराया था।
पहली मर्तबा था यह, चीख मैंने सुनी,
पर मदद नहीं कर पाया था।
बीस बरस के बाद, मै अपनी,
"बेटी को", घर में "नंगा" पाया था..।
-KkRaO
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