एक सवाल ख़ुदा से
कल मुझे मिला ख़ुदा
तो मैंने उससे पूछा ये
मुझे तो बस तू ये बता
है दर्द क्या बिछड़ने का
किसी से भी, किसी से भी, किसी से भी
कि जाने क्या हुआ उसे
वो चुप रहा, वो चुप रहा, वो चुप रहा
खुले जो उसके लब वो फिर
तो नाम था बस एक ही
आदमी ...आदमी ...आदमी ...
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