QUOTES ON #RAHI

#rahi quotes

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12 MAR AT 16:05

मैं उस मंजिल का मुसाफिर हूँ जहाँ लोग लापता हो जाते है

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2 MAR AT 23:05

किसी गहरे धोखे से उभारना
ठीक वैसे ही पीढ़ादायक होता है
जैसे दोबारा जन्म लेना....
बस फ़र्क इतना ही होता है कि
जन्म की पीड़ा याद नही रहती
धोखे की पीड़ा कभी मिटती नही।। चंद्रा सुनीता*

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27 FEB AT 23:52


ये सारा जहाँ इश्क़ से वाबस्ता रखता है,
सारे लोग इश्क़ के राह के मुसाफिर है,

उस से हम तालुक रखना चाहते है और वो रकिब के साथ
एक इश्क़ का संसार उसके साथ हम आबाद करना चाहते है, और एक वो उसके साथ,
नाकाम इश्क़ का सफर हमें भी गवांरा नहीं,
चाहा जहाँन मे हमने एक शख्स,
बदकिस्मती से वो भी हमारा नहीं,

बस अब तो अधूरी मोहब्बत का मुकम्मल इन्तजार कर रहे है
एक ही खंजर से छल्ली अपना दिल बार बार कर रहे है
बैठ कर मैखाने मे अपनी दुनिया बर्बाद कर रहे है
ना कर के बदनाम उस शख्स को आबाद कर रहे है

ना जाने कैसे शख्स से हम प्यार कर रहे है!!!!

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16 FEB AT 23:54

मै किसी और के बारे में क्या लिखूं....
मेरी जिंदगी का पन्ना खाली पड़ा है.. 😔

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15 FEB AT 9:49

हम को मालूम है जन्नत कि हकीकत लेकिन
दिल के खुश रखने को ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है।।
(- मिर्ज़ा ग़ालिब )

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6 FEB AT 11:29

बातों में अब वो बात नही रही ,
बात होती है ,मगर अब वो पहले वाली बात नही रही ।

तग़ाफ़ुल इस कदर करता है , महबूब मेरा ,
की अब बात शुरू करने को भी बात नही रही ।

यू तो मैं तेरा जिक्र मेरी गजलों में कर जाऊंगा ,
मगर तुझको याद करके अब रोने की हिम्मत नही रही ।

कोई किस्मत वाला ही होगा जो थामेगा तेरा हाथ ,
तुझे मांग भी लू खुदा से मगर अब तू मेरी किस्मत में नही रही ।

वो जो इब्तिदा-ए-सफ़र में कल तेरे मेरे दरमियाँ रहा ,
मुझे इंतिहा - ए - सफर में भी उन्ही सिलसिलों की तलाश रही ।

तेरे संग जिंदगी के हर लम्हे में थी डूबने की आरजू ,
तुझे क्यों लगा मेरे ना -ख़ुदा मुझे साहिलों की तलाश रही ।

मेरे जैसे हजार मिले, मगर तुझ जैसा कोई नहीं ,
वो मेरी आख़िरी मोहब्बत है " राही " उसको ये इल्म  भी नही ।

यूं तो कसमें खा जाते है मोहब्बत में " हीर - रांझा " की ,
मगर " राही " ना तू रांझा बना , ना वो हीर रही ..

यूं तो बात हो जाया करती है , मगर वो बात नही रही ...

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2 FEB AT 21:55

देखो अभी जाने की बात मत करो ,
अभी तो मुलाकात भी ठीक से नही हुई है ...
जरा यहां आओ, कुछ पल पास तो बैठो ,
क्या कहां , तुम्हें मोहब्बत नही करनी आती ,
चलो आओ तुम्हें मोहब्बत सिखाता हूं ,
जब मिली तुम तो सांसे तेज सी होने लगी ,
ठहरी जिन्दगी चलने सी लगी ,
ये गम भरी रातें भी कुछ सुहानी सी लगने लगी ,
ये चांद भी महबूब सा नजर आने लगा ,
तुम्हारे साथ बिता लम्हा भी पल सा लगा ,
क्या कहां मोहब्बत की बातें नही करनी ,जाना है ,
नही यार अभी जाने की बात मत करो ,
अभी तो मोहब्बत की बात भी नहीं हुई है ,
देखो अभी तो मुलाकात भी ठीक से नही हुई है ..

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25 JAN AT 10:47

जिस्म छोड़ चला मैं , रूह मेरी बाकी है ,
हकीकत से हूं रूबरू मगर जन्नत की आस बाकी है ।

खामोश मैं , खामोश रात , खामोश ये चांद है ,
ना जाने हम तीनो को किसका इंतज़ार बाकी है ।

गुजर गई आहिस्ता आहिस्ता ये रात भी ,
मगर देखो ख्वाब मेरा अभी भी बाकी है ।

यू तो ख्वाब कोई बड़ा नहीं तेरी चाहत है ,
तेरे लबों को चूमने की हसरत बाकी है ।

ये जो कुछ दिनों से नजरंदाज कर रहें हो तुम ,
दूर जाना है , या हमारे गुजर जाने का इंतज़ार बाकी है ।

हो कभी हमारी भी मोहब्बत पूरी " राही "
बस अगले जन्म की आस बाकी है ,
जिस्म छोड़ चला मैं , रूह मेरी बाकी है ...

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22 JAN AT 23:02

जब जब इश्क लिखूं , तब तब उसका नाम लिखूं ,
उसकी आखों ही आखों से बात लिखूं ,
या उसके चेहरे का नूर लिखूं ,
मैं लिखूं उसकी मोहब्बत को इश्क के लफ्जों में ,
या रातों को उसका इंतज़ार लिखूं ,
उसके घने जुल्फों के साए को आराम लिखूं ,
या उसके आगोश को सुकुन लिखूं ,
उसके होठों को गुलाब सा लिखूं ,
आखों को मयखाना लिखूं ,
खुद को " राही " मयखाने का कैफ़ी लिखूं ,

मैं जब जब इश्क लिखूं , तब तब उसका नाम लिखूं ।

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30 DEC 2023 AT 21:36

साबित न कर खुद को , जो है बस वही रह ,
अपना हो जो वो अपनों से अंजान नही होता ।

दुनियां के सामने भाई होने का ढोंग ना कर ,
जो मन में है वो हर कोई बाहर नही होता ।

दोपहर तक तो कुछ रुपए नही थे , पास आपके ,
शाम को आए हिसाब पुराना करने , वैसे हिसाब आपका सही नही होता ।

ये जो कुछ रुपए दे रहे हो तोफहा या भीख है ,
वैसे इन चंद रुपए से कोई अमीर नही होता ।

बातों से तू यू बदला ना कर राही हर बात को मजाक का नाम न दे ,
वैसे तुजसे "राही " ये मजाक सुना गया नही होता ।

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