ऐ! बेबस परिंदे जरा ठहर जा,
तुझे दूर जाना है,
खाहिशें बहुत है तेरी,
तुझे तो सब पाना है।
जग भूल जाए चाहे ठुकरा दे
तेरा अपनापन,
तू वीर की संतान है,
तुझे सबने वीर माना है।
बेबस परिंदे जरा ठहर जा,
तुझे दूर जाना है।।
मुसाफिरों से तू दिल ना लगा,
तूझे मंज़िल को पाना है,
तू अपनी कीमत समझ,
तूझे जिम्मेदारियाँ निभाना है।
आग की लपटों से ना डर,
तूझे अंगारों पर चलके जाना है,
डरना है तो तू फूलों से डर,
काँटों से तो समझौता पुराना है।
ऐ! बेबस परिंदे जरा ठहर जा,
तुझे दूर जाना है।।
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