"तुमसे बिछड़े हुए अभी ज्यादा वक़्त नहीं हुआ"
मेरी सोच मुझसे अब तक कहती आ रही
मैंने इसीलिए फ़िर चलना नहीं छोड़ा,
मैं आज भी तुम्हारी मौजूदगी मान ली है,
मैं मौन हूं एक वक़्त के बाद से अब तक
मैं बिना मंजिल की परवाह किये चलूंगा,
तुम्हारी यादे हर रोज एक नया रंग लेकर
मुखातिब मुझसे हर सुबह हो जाती हैं,
मैं तुम्हारे रंग में अब तक रंगा प्रिये ,
मुझे दुनिया की अब न परवाह प्रिये,
तुम आओ तो अच्छा
न आओ
तो कोई बात नहीं प्रिये
मैं ख्वाबों को रंग लूंगा जो बिखरे पड़े हैं
फिर मैं निरंतर रहूं तेरी सोच में
उम्र भर को बस तेरा प्रिये ।
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