तुझमें-मुझमें भेद है कैसा?? सब एक ईश्वर की संतान हैं,
ना तेरा ज्यादा,ना मेरा कम, वो ईश्वर सबका समान है
जब ईश्वर भेद ना करता है, किस बात का फिर अभिमान है?
जाति-धर्म से कभी नही, बनती कोई पहचान है।
अगला वो ही आयेगा, जो पिछले को मार गिरायेगा
मिथ्या हैं कनक-मुकुट सभी, निर्बल, दुर्बल यदि है व्यक्ति
लूटे पिटे हैं राजपाट भी, यदि भुजदंडों में ना है शक्ति
राम नरेश रावण भी, बूझो तो कौन महान है!
जाति-धर्म से कभी नही बनती कोई पहचान है।
कर लो कितना पूजन-अर्चन, कर लो कितना ही धन अर्जन
जो बोयेगा सो पायेगा, कर्म ही साथ निभायेगा
सब धरा रह जायेगा, साथ कर्म ही जायेगा
भले ही कोई धर्म हो श्रेष्ठ, हर धर्म से कर्म प्रधान है,
जाति-धर्म से कभी नही बनती कोई पहचान है।
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