आज भी याद है मुझे मौसम की वो पहली बारिश,
जब धीमी थी बारिश लेकिन धड़कनें थी तेज़।
तुम्हारा ना खुलता हुआ वो छाता और
मेरा अपने किताब से शिर को बचाना,
भागे थे हम दोनों बारिश से बचने छत की ओर,
ख़बर ना थी मौसम से ज्यादा प्यार भिगाने वाला था।
कंपकंपाती वो आवाज और ठिठुरन भी थी,
लेकिन दिल में जली एक आग भी थी।
कहना तो शायद तुम्हें भी था, इन्तजार में हम भी थे,
लेकिन खामोशी तोड़ने से दोनों ही डरते थे,
अनजान बने बैठे थे पर उस लम्हें में दिल खो बैठे थे।
बारिश खत्म हो गई पर कहानी नयी शुरू कर गई,
पहली बारिश मुझे प्यार का सौगात दे गई।
-