पथिक...
है मन्ज़िल बहुत. फ़िर मन्ज़िल आयेगी नज़र
दूर अभी... और पथिक को तेज़
अभी तो पथिक. दौड़ना है...
को मीलो चलना है.. कर हासिल उस मन्ज़िल
है कड़ी धूप, कहिं को पथिक को
छ्म-छम बारिश फ़िर. चलते रहना है
भी पथिक को.
चलते रहना है....
फ़िर कामयाबी तेरे
न मान हार, चरण चूमेगी लेकिन
न हो निराश तू पथिक को चलते रहना
बस कोशिश
करते रहना है. क्योंकि थम गया गर
अभी तो पथिक. पथिक कहिं तो...
को चलना है... लाख कोशिशे बेकार होगी
इसलिए कभी ना
थमना तू पथ के राही
कोशिश तेरी होगी. बस चलते रहना
कामयाब जरूर. तू चलते रहना. ...
बस कोशिश.
करते रहना है
अभी तो पथिक को चलना है..
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