QUOTES ON #PATHIK

#pathik quotes

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1 DEC 2020 AT 13:34

किसी पर नाराज़ न हो ए पथिक
के सफर अभी बहोत लांबा है...

आदते भलेही बदलती रहे
ख्वाहिशों का एहसास जिंदा है...

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6 JAN 2019 AT 22:32

चंचल मन,बिखरे हालात
मध्य रात्रि, हजारों सवाल
खोया हुआ एक पथिक
चले जा रहा है अपने
वजूद को तराशने....

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16 JUL 2017 AT 13:34

पथिक हो तुम पार्थिव नहीं

राही हो तुम राह नहीं

अपनी राहों को बनने दो

उनपे कदमो को चलने दो।

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8 JUN 2020 AT 14:36


पथिक...

है मन्ज़िल बहुत. फ़िर मन्ज़िल आयेगी नज़र
दूर अभी... और पथिक को तेज़
अभी तो पथिक. दौड़ना है...
को मीलो चलना है.. कर हासिल उस मन्ज़िल
है कड़ी धूप, कहिं को पथिक को
छ्म-छम बारिश फ़िर. चलते रहना है
भी पथिक को.
चलते रहना है....
फ़िर कामयाबी तेरे
न मान हार, चरण चूमेगी लेकिन
न हो निराश तू पथिक को चलते रहना
बस कोशिश
करते रहना है. क्योंकि थम गया गर
अभी तो पथिक. पथिक कहिं तो...
को चलना है... लाख कोशिशे बेकार होगी
इसलिए कभी ना
थमना तू पथ के राही
कोशिश तेरी होगी. बस चलते रहना
कामयाब जरूर. तू चलते रहना. ...
बस कोशिश.
करते रहना है
अभी तो पथिक को चलना है..

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10 DEC 2020 AT 16:34

हो पंथ काँटों से भरा
अंगार सी जलती धरा
पाथेय भी कुछ है नहीं
फिर भी पथिक चलता अकेला...
भावना की बेड़ियां पग में पहन कर
कामना की बस्तिओं का भी दहन कर
मन समेटें सिसकियाँ संवेदना की
दग्ध पीड़ा की दहक उर में सहन कर
फिर भी पथिक चलता अकेला...

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18 OCT 2019 AT 15:15

!! सोचा था एक आशियाना बनाके चैन कि जिंदगी गुजारेंगे,
पर घर कि रोज कि नई जरूरतों ने मुसाफिर सा बना दिया है....!!

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15 MAY 2020 AT 15:04

कभी पथिक परिचय नहीं देता
कभी उखड़ा स्वास कहता है
थक गए
कभी चेहरे की लालिमा
हृदय गति बतलाती है
पांव के छाले छलते नहीं
अपितु
रास्ते की ठोकरें मुखरित कर गाते हैं
धूल धुरसित अल्काएं
मस्तक पर बलखाती शबनम
होठ कहां बता पाते हैं
कोई पथिक आत्म कथा कहता नहीं
हौले से नयन झांक लो
सभी भेद खुल जाते हैं...।

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19 MAY 2020 AT 9:39

बेशक जानता होगा तू चंद अल्फाजों को जोड़ना,
पर टूट रहे है जो दो दिल अभी उन्हें कैसे जोड़ पाएगा,
फिरता है समझाता तू जमाने को ऐ-पथिक,
अभी जो वो तुझसे रूठा है तो उसे कैसे मनायेगा...✍️

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25 APR 2022 AT 9:25

हे पथिक
यह विश्रांति कैसी...
है गंतव्य अभी दूर, तुम्हें निरंतर चलते रहना है
तिमिर है घनघोर...
बन आस का दिया तुम्हें निरंतर जलते रहना है
बदलती नहीं राहें...
हर चुनौती के लिए स्वयं तुम्हें निरंतर ढलते रहना है
लगेंगे आघात भी...
पर गिर कर स्वयं ही तुम्हें निरंतर संभलते रहना है
हर व्यूह से बाहर...
स्वयं का सारथी बन तुम्हें निरंतर निकलते रहना है

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17 NOV 2020 AT 8:11

O Pathik!
Le chal mujhe,
Us raah pr, us raah pr
Jis raah se Chhu lu gagan
Taaro ki rimjhim roshni
Aankho se Dekhi ja sake
Ummid me har pal use
Khwabo me hi to paa saku
Un baadlo ki ot me
Jalti agan ki chhot me
Kuch kar saku Kuch kar saku
Sagar ki lahro sa tanik
Uthta rahu! Girta rahu..
Seep k sundar kavach se
Khud ko main dhakta rahu..
O Pathik! Le chal mujhe!
Chalta rahu main bas Chalta rahu..
Pedo ki Thandhi chhav me
Sagar me bahti naav me
Saans Bharta main rahu..
O Pathik! Le chal mujhe!

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