Amit Mishra 8 MAY 2018 AT 20:16 जब से हमें अपने परायों की पहचान हो गयीतन्हा ही रहता हूँ पूरी दुनिया वीरान हो गयीहँसी के ठहाके गूँजा करते थे जिन गलियों मेंअब हाल यूँ की सारी सड़कें सुनसान हो गयीदिल की सुन उस ओर चल दिया करते थे कदमठोकरें जो लगी तो रूह से भी पहचान हो गयीख्वाहिशों का बचपना भी चंचल ना रहा अबउम्मीदों की हकीकत कुछ यूँ जवान हो गयीबिन झरोखों के उजाले की आस रखूँ कैसेवो टूटी झोपड़ी मेरी पक्का मकान हो गयी'मौन' रहकर अब जज्बातों की स्याही बनाता हूँहाल-ए-दिल खुद लिखती है कलम महान हो गयी - Karishma Kokane 2 OCT 2020 AT 11:09 भूलकर भी कभी किसी मुसीबत मैं मत पड़नाखामखाँ अपने और परायों की पहचान हो जाएगी - kajal Sharma 23 SEP 2021 AT 10:09 कौन किसका है..कितना है....और क्यू है...ये बात समय बताता है!! - ___________ "बघेल" 11 JUN 2020 AT 10:15 वो कहते हैं कि तुम मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते!!अब कौन समझाए उनको.........अपने थे इसीलिए जाने दिया अगर पराये होते तो कदमों में होते!!!! - Shayari.ac 8 SEP 2020 AT 10:48 Galat fehmi ko bata diya jaye to riste nikhar jate hai....agar nahi bataya jaye to ache khase riste bikhar jate hai..... - ✴️AखिL Goस्waमी✴️ 8 SEP 2021 AT 8:25 समय की चकरी को देखकर हर शख़्स, पलट खुद से कर जाता है जुदा।जिंदगी में दो ही लोग बस अपने होते हैं,एक खुद और दूसरा खुदा।। - Varsha Sharma 27 MAR 2022 AT 22:56 वाकई अपना कहने को कोई नहीं, आखिर तो सब यहां पराए हैंजब जाना ही है एक दिन इस दुनिया सेतो क्यों ही हम यहां आए हैं... - Shayari.ac 30 AUG 2020 AT 17:45 मैं सबको अपना मानती हूंइसका मतलब यह नहीं कि मैं हकीकत नहीं जानती हूं - Kajal 15 SEP 2020 AT 16:05 ज़िन्दगी बीत जाती है किसी को अपनाने में,फिर भी गलतियाँ हो जाती हैं लोगों को पहचानने में। - Amit Mishra 28 JAN 2018 AT 17:23 जब अपने हुए पराये और पराया हुआ सगा हैमुझे 'मौन' रहना ही ठीक लगा हैगैरों से मिले सहारे यहाँ अपनों ने किया दगा हैमुझे 'मौन' रहना ही ठीक लगा हैपड़ता फर्क नही उससे जो मिला मतलबी का तमगा हैमुझे 'मौन' रहना ही ठीक लगा हैबंद रही आँखे तो क्याअब मेरा जमीर जगा हैमुझे 'मौन' रहना ही ठीक लगा है -