मेरा मुकद्दर 'वो' बना रहा था,
मै अपने हाथों पर इतरा रहा था।
बचाया हर बला से मुझे 'उसने',
मै अपनी किस्मत लगा रहा था।
सब कुछ अता किया मुझे 'उसने',
मै अपनी मेहनत जता रहा था।
सब कुछ लिखा हुआ है 'उसने',
मै अपनी लिखावट बता रहा था।
धुन 'उसकी' सवार थी मुझ पर,
लगा कि कुछ अपना गा रहा था।
किसको कब क्या मिलेगा तय है,
मै बेकार में हाथ फैला रहा था।
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