QUOTES ON #MRBOLBACHAN

#mrbolbachan quotes

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7 DEC 2019 AT 14:37

जब भी याद किया, उसे ही याद किया,
जब भी चर्चा की उसी के हुस्न की,
जुल्मों में उसी की उलझते जा रहे हो,
हमसे तो कभी हमारा हाल नहीं पूछा।

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28 APR 2018 AT 17:39

मैं इस रास्ते की राही हूँ पुरानी
पत्थर से मेरी ये पहली टकरार नहीं ।

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22 JUN 2020 AT 0:32

मैंने छोटी सी जिंदगी में , कई किरदार देखे हैं।
मुझ पर हँसते हुए , अपने वफादार देखे हैं।।

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9 JUN 2020 AT 16:20

पिंजरे में जो बंद हैं, खुला आसमां उन्हें दोगे क्या
एक सवाल पूछती हूँ, जवाब दोगे क्या

हैवानियत खूब दिखाई तुमने, इंसानियत का परिचय अब दोगे क्या
रावण के पुतले खूब जलाये, इस बार खुद में छिपे रावण को आग दोगे क्या

जो रंजिशे हैं तुम्हारी बाकियों से, अब मिटाओगे क्या
एक सवाल पूछती हूँ, जवाब दोगे क्या

प्यार तो कभी दिया न इन बेजुबानो को, अब गालिया कम करोगे क्या
किताबें तो खूब पढ़ी हैं तुमने, इन बेज़ुबानों को कभी पढ़ोगे क्या

जो रंजिशे हैं तुम्हारी बाकियों से, अब मिटाओगे क्या
एक सवाल पूछती हूँ, जवाब दोगे क्या

जिन्हें तुम अनसुना कर बढ़ जाते हो, कहो इस बार उन्हें सुनोगे क्या
पत्थर पर दूध तो खूब चढ़ाये तुमने, अबकी बार दूध तुम गरीबों में दोगे क्या

बुढ़ापे में जो हारे हुए हैं, उनका सहारा तुम बनोगे क्या
जो रंजिशे हैं तुम्हारी बाकियों से, अब मिटाओगे क्या

एक सवाल पूछती हूँ, जवाब दोगे क्या.....

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14 MAR 2018 AT 6:44

मैंने सपनों को हकीकत होते देखा है...
अज्ञानी को भी नसीहत देते देखा है...

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23 MAY 2020 AT 17:29

काश उन 'चार लोगों' से मुलाकात हो जाती
कुछ थोड़ी बहुत उनके बारे में मैं भी जान लेती
मेरी हर नई शुरुआत में ख्याल उनके ही पहले आते हैं
काश उनकी तस्वीर लगा फूल उन पर मैं भी चढ़ा देती

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22 JUN 2020 AT 5:48

यही ज़िन्दगी है जनाब
यहां वक़्त के साथ साथ
इंसान अपना मुखौटा बदलता रहता है ।

यहां मुंह पे सलामी और
पीछे बदनामी मिलता है ।।

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17 JUN 2020 AT 7:10

चोर कोई और है, बदनाम कोई और हो रहा
गरीबी से लड़ कोई रहा, गरीब कोई और कहा रहा है

बाजियों की कीमत नहीं, मजबूत ही अब बाजीगर कहा रहा
जीत की कीमतें कुछ इस कदर बढ़ी हैं, हारा हुआ अब मारा जा रहा है

गलतियां कोई करे, सजा कोई काट रहा
खीसे कोई भर रहा, खिराज कोई और चुका रहा है

झूठ,फरेब बढ़ रहे, ये कागज अब कोरा रह रहा
जब तक जीवित था भुला हुआ था, गुजरने पर अब याद किया जा रहा है.

वफादारी कोई निभा रहा, वफादार कोई और कहा रहा
सच्चाई यही है, जो ठोकरों से बढ़ा है, फलक को छू वो ही रहा है

बदल रही है दुनिया, रिवाज़ इसका बदल रहा है
फिर ये न कहना बदल गयी है 'ममता', लिखा इसका अब भा न रहा है

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22 JUN 2020 AT 0:04

इश्क़ है क्योंकी दिलरुबा हो तुम।
गम हैं की शाम ए बेवफ़ा हो तुम ।।

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23 JUN 2020 AT 7:32

चलो एक पल के लिए
अपनी आँखे मूँद लेते हैं
इस व्यस्तता से खुद को अलग कर
चलो एक पल के लिए हम स्थिर हो जाते हैं।
उस साठ सेकंड में
खुद को तरोताजा कर लेते हैं
इस जवानी से परे,
अपने बचपन में
एक पल के लिए खो जाते हैं
चलो अपनी आँखे मूँद
एक पल के लिए थोड़ा ठहर जाते हैं,
खुद को और ऊँचा उठाने के लिए
कुछ देर थोड़ा विश्राम कर लेते हैं ।
चलो कैद किए गए सभी पंछियों को
एक पल के लिए खुला छोड़ देते हैं
वो नफरत, वो युद्ध सबको दरकिनार कर
चलो एक पल के लिए
हम प्रेम का गुलाल उड़ाते हैं ।
वह हरियाली व प्रकृति की सुंदरता
चलो एक पल में
सभी को अपनी आंखों में कैद कर लेते हैं
कल रहे ना रहे
इसलिए आज ही सारी खुशियां थाम लेते हैं
चलो सारे काम को छोड़
एक दफा ऊपर वाले को याद करते हैं
जिसने यह संसार रचाया
जिसने हमको, तुमको, सबको बनाया
चलो अपनी आंखें मूँद
एक पल शांति के नाम कर देते हैं।

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