मैंने पापा को भी रोते देखा है ......
मैंने वक्त की तस्वीर को बदलते देखा है ,
नन्हें कदमों को हाथों से संभलते देखा है ,
बेचैन आँखों को झूठी नींदों में सोते देखा है ,
हाँ मैंने पापा को भी रोते देखा है ......
मैंने हौंसलों को धीरे - धीरे पस्त होते देखा है ,
गलतियों में आवाज को सख्त होते देखा है ,
बेरुखी में भी आँखों से प्यार बरसते देखा है ,
दूर देखकर मुझे हर बार तरसते देखा है ,......
हाँ मैंने पापा को भी रोते देखा है .......
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