एक बात बताइये..
जब आपके रिश्ते की बातें चल रही थी, तब कहां थे आप?
मैं जब टूटना शुरू हुई थी, तब कहां थे आप?
जब मुझे उससे सम्बन्धित खबरें कहीं और से पता लग रही थी, तब कहां थे आप?
जब मैं ख़ुद को संभालने की कोशिश कर रही थी, तब कहां थे आप?
जब मैं बिल्कुल अकेली इस मुसीबत को झेल रही थी, तब कहां थे आप?
जब मेरे पास रोने के लिए कंधा तक नहीं था, तब कहां थे आप?
मेरे आंसुओं को कोई पोंछने वाला नहीं था, तब कहां थे आप?
मैं ये ख़बर सुनने के बाद भी बहुत हिम्मत से काम ले रही थी, तब कहां थे आप?
ऐसा कौन सा ज़रुरी काम था जो मुझे स्मभालने से भी ज्यादा ज़रूरी था?
ऐसा क्या कर रहे थे आप जो आपको मेरा हाल पूछने तक की फुर्सत नहीं मिली?
क्या आप ऐसा कुछ कर रहे थे जो ना होता तो आपका बहुत बड़ा नुक़सान हो जाता?
उस वक्त सबसे ज्यादा ज़रुरत थी मुझे आपकी,
मैं तड़प रही थी, रो रही थी, टूट रही थी,
ख़ुद को चुप करवा रही थी, ख़ुद को हिम्मत दे रही थी,
मेरा यकीन मानिए, बहुत कोशिश की मैंने ख़ुद को अकेले संभालने की,
लेकिन हार गई मैं, टूट ही गयी, मर गयी मेरी रूह।
उस वक्त अगर तुम साथ होते तो शायद ये हालत नहीं होते,
मैं जब टूटना शुरू ही हुई थी, बिल्कुल ना टूटती।
कोई नहीं था मेरे पास, मेरा दुःख सुनने वाला,
आप ऐसा क्या कर रहे थे, क्या मेरी कब्र खोद रहे थे?
मैं राह देखती रहती थी आपकी, कोई संदेश आया या नहीं,
आप एक जवाब देकर गायब थे।
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