अगर तुम गलती से भी बदनाम कर दोगे हमारी चाहत को, नहीं फिर भाप पाओगे कभी तुम हमारी आहट को; हमारा तुम्हारी महफ़िल में आना फिर तुम कभी भूल नहीं पाओगे, जब तुम्हारे सामने ही रौंदेंगे हम तुम्हारी बादशाहत को...!!
तुमसे बिछड़ना क्या कम दर्द भरा था, जो अब ये गम भी सहना होगा, तन्हाई मे रोना होगा और महफ़िल मे मुस्कुराना भी होगा। तुमसे ग़र होगा सामना तो दबा कर ख्वाईश, गले लगाने की तुमको, तुमसे बस नज़रे मिला कर पास से गुज़र जाना होगा।
अगर मिले हो तो मुलाकात तो होगी ही.. इस बार नहीं अगली बार तो होगी ही.. सजाना तुम महफिल मेरा इन्तजार करना.. महफिल में हर शख्स से न सही तुमसे तो मुलाकात होगी ही..