आज मातम-ए-गम की चीखें सुनी मैंने ,
न किसी मर्ज़ से हुई , और न ही किसी क़र्ज़ से हुई ....
न ही किसी हालात-ओ-गम हुई थी मौत उस नौजवान की ,
हाँ , इन दिनों कई ऐसी मौते भी होती देखी मैंने ....
यूं तो मैं खुद ही पल-पल अपनी मौत मांगती फिरती हूँ खुदा से,
पर आज उस बेपरवाह मौत की इल्तिज़ा गौर से सुनी मैंने .....
हां-हां , वो चीखें कुछ दिन पहले सुनी थी ,
हां आज नज़दीक से फिर सुनी मैंने ......
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