एक नयी सुबह, एक नयी शुरुवात।
मत देखो तुम वो फिजूल लकीरें, जिन्होंने भर रखा है तुम्हारा हाथ।
तुम चलते रहो, आगे बढ़ते रहो, जो तुम्हारी मंज़िल है, उसको हासिल करने की कोशिश करते रहो।
कब तक कल की ग़लतियों के बारे में पछताते रहोगे तुम?
अगर उन गलतियों के बारे में सोचते रहे तो दुनिया की भीड़ में हो जाओगे गुम।
चाहे कितनी भी बाधाएं आएं, तुम सच्ची लगन से मेहनत करते रहो,
बस अपने लिए और अपने मेहरबानों के लिए तुम लड़ते रहो।
-