QUOTES ON #MADHAVAWANA

#madhavawana quotes

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24 APR 2020 AT 7:21

अपना तू मुकद्दर देख
बच्चों संग हँसकर देख
नेकियाँ सीख जाएगा
ग़म से गुज़रकर देख
मौत भी कहाँ आसान है
एक बार मरकर देख
फ़रिश्ते भी तुझमें हैं,
ख़ुद से तू,डरकर देख
मुसीबतें मामूली हैं
हौंसला कर कर देख
शख़्सियत महक जाएंगी
गुलों सा सँवर कर देख


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7 SEP 2020 AT 15:24

नामें-वफ़ा ज़िन्दगी कर जाऊँ मैं
यार,तुम कहो तो मर जाऊँ मैं ?
एक वहशत ने दर-ब-दर किया
अब शाम हो चली है,घर जाऊँ मैं ?
तेरे लिए तो खेल थी मोहब्बत
ख़ुद को हार के किधर जाऊँ मैं ?
एक नाम के सहारे ज़िन्दगी तमाम
इस हद से भी आगे गुजर जाऊँ मैं
मसला गया ग़ुलाब हूँ,ग़म नहीं
अब बनके खुशबू,बिखर जाऊँ मैं

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26 DEC 2020 AT 16:36

ये दुनियादारी जब सितम ढाती है
मेरी जान गले तक आ जाती है
मैंने हर तरफ फूल खिलते देखे
मेरी बिटिया जब भी मुस्कुराती है
धर्म-कर्म,और इस जीवन का मर्म
मैं पास बैठता हूँ,माँ सब बताती है
आओ उम्मीदों की डगर पे दौड़ें
देखें फिर ज़िन्दगी कहाँ जाती है

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5 DEC 2020 AT 17:58

किन बर्फ़ीले अहसासों में जल रहा हूँ मैं
ये कैसी उदासियाँ बदन पे मल रहा हूँ मैं
तेरे पास रहा तो घुट के ही मर जाऊंगा
तो,अब मुझे जाना है,अब चल रहा हूँ मैं
सीने में है आग,धुआं और घुटन बला की
ले ख़ुद ही अपना दिल मसल रहा हूँ मैं
तुम्हें मुबारक़ नए रिश्ते,अब मैं कुछ नहीं,
तो ले तेरी ज़िन्दगी से ही निकल रहा हूँ मैं


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13 MAY 2020 AT 12:13

ये उम्मीद है कि ग़म ढल जाएगा एक रोज़
कोई ग़ुबार है वो निकल जायेगा एक रोज़
मेरी हसरतों का तो है खोटा सिक्का,
उम्मीद मुझे है ये भी चल जाएगा एक रोज़
मैं दिल के टुकड़ों को अब तक समेटे बैठा हूँ
वक़्त बदलेगा और तू बदल जायेगा एक रोज़
हर रोज़ ख्वाबों में मेरी प्यास बढ़ती जाती है
ये बदन बाकी है,वो भी जल जाएगा एक रोज़
एक रात चाँदनी तेरे सिर का दुपट्टा हो जाएगी
शरमा के तू चाँद में बदल जायेगा एक रोज़

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30 SEP 2020 AT 11:52

आई,बहारें अब जाना चाहती हैं
ज़िन्दगी हमें आजमाना चाहती है
ग़ुलाब बला तक महक चुके हैं,
पत्तियां बिखर जाना चाहती है
तुम हाथ छुड़ाने पर अमादा हो
मुझपे कयामत आना चाहती है
सौ जुल्म सहकर भी मुस्कुराऊँ,
ज़िन्दगी ऐसा,दीवाना चाहती है
ज़िन्दगी सौ ख्वाब रोज दिखाती है
और मौत बस एक बहाना चाहती है
-माधव अवाना



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25 SEP 2020 AT 17:19

सुनो,एक दिन तुम्हें सुनाऊंगा 
वो कविता जिसमें सिर्फ तुम होगी 
हुस्न-ओ-इश्क से परे की कविता,
जिसमें तुम अपने आप में गुम होगी,
सुनो,सुनाऊंगा तुम्हें कि जब तुम,
कहती हो दूर होने की बातें,
तो दिन भर झल्लाता फिरता हूँ 
और फिर मैं, जलाता हूँ उदास रातें 
सुनो, सुनाऊंगा वो कविता एक दिन,
जिसे सुनकर तुम मुस्कुराओगी 
उस आख़िरी कविता के बाद 
तुम ठण्डी हवा सी,
मेरी रूह में समा जाओगी ।

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27 SEP 2020 AT 6:36

मैं वक़्त का मुसाफ़िर हूँ,ढल जाऊंगा एक दिन।
ज़िन्दगी की आग में ही जल जाऊंगा एक दिन
वक़्त डाल देगा मिट्टी मेरी कहानी पर,
अभी हूँ,ख्यालों से भी निकल जाऊंगा एक दिन
कुछ धूल है बुरे वक्त की तो ठहरा हुआ हूँ मैं,
धूल हटेगी तो बाज़ार में चल जाऊंगा एक दिन।
टूटे सपनों की कोफ़्त,और उम्मीदों की खाक़
यार,मुझे दिलासे देना,बहल जाऊंगा एक दिन







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5 SEP 2020 AT 6:42

गाँठें मेरी मोहब्बत की खोलता बहुत है
वो मुझसे मेरी तन्हाई में बोलता बहुत है
मुझे रूह तक मिठास होती है महसूस
वो शहद अपनी बातों में घोलता बहुत है
कौन कितना हल्का कौन कितना भारी
ये,वक़्त अपने तराज़ू में तोलता बहुत है
कभी हैरत से देखना,कभी कुछ पूछना
वो मेरे जज़्बातों को टटोलता बहुत है

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6 AUG 2020 AT 8:23

ज़माने भर का भार रखा है
तुमने कितना ग़ुबार रखा है
किस्तों में ही अदा कर दो
इश्क़ का जो उधार रखा है
हसरतों के गुल खिलने दो
मैंने बहारों को पुकार रखा है
पड़ने दो नज़र हम पर भी
हमने ख़ुद को सँवार रखा है
शिकवे गिले बह गए रात,
अब तो बाक़ी प्यार रखा है





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