लक्ष्य
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संघर्ष वह अभ्यास हो,
नित नया प्रयास हो।
लक्ष्य जो अपने पास हो,
तो फिर क्यों मन उदास हो?
एकाग्र चित्त बोध से,
अनुभवों के शोध से
विचारों की चिंगारियाँ उठी
देखते ही देखते व्यवहार में बदल गई।
मिश्रण हवा का पाकर वह,
जुगनू बन चमक उठी।
वक्त बदलेगा,
सुबह से दोपहर ,रात ,फिर नई सुबह -
नित प्रतिदिन
यही वक्त का दौर।
यही जीवन का ठौर।।
- संकल्प अनुसंधान योगपथ
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