QUOTES ON #KITABONKIBAATEIN

#kitabonkibaatein quotes

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15 AUG 2019 AT 19:02

नाज़ुक लगते थे जो हसीन लोग,
वास्ता पड़ा तो पत्थर के निकले…

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20 MAR 2021 AT 17:32

जब से तेरे सहारे का तिनका छूट गया
तब से मेरे मन का मनका टूट गया

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5 AUG 2021 AT 12:28

KiTaaBon Ki DaLeeL Dun Ya Khud Ko SamNe Rakh Dun hAiDar..!!
ZaaLim Ab wOh Mujh Se Punchh BaiThi Yeh Ishq Mohabbat KiSe KaihTe hain..!!

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30 MAY 2021 AT 15:09

वाह ! किताबों की भी क्या अलग ही पहचान हैं...
कभी पढ़ने के काम आती हैं तो कभी जलाने के ।
कभी किसी के चेहरे पर खुशी का कारण बनती है तो कभी किसी के दुख का।।
वाह ! किताबों की भी क्या अलग ही पहचान हैं...
कभी सूरज की रोशनी में किसी जलते हुए पात्र के समान ।
तो कभी चांदनी रात में किसी ठंडे घड़े के समान शितलता प्रदान करती हैं।।
वाह ! किताबों की भी क्या अलग ही पहचान हैं...
अपने शब्दों के माया ज़ाल से कभी हसाती है कभी रूलाती हैं।
कभी लेखक की जीवनी बयां करती है तो कभी लेखक की जीवनसंगिनी बन जाती हैं ।
अब किताबों का क्या ही कहना उनकी भी एक अलग ही पहचान होती हैं।।।

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20 APR 2019 AT 16:01

किताबों की तरह बदल जाये जिन्दगी,
तो क्या बात हो।
पढ़े कोई,कोई रखे सिरहाने,कोई रखे खत इसमे,
तो क्या बात हो।
जब फूल हो इसमे कोई पहली मुलाकात का ,
मजा तो तब है जनाब ।
क्या बात हो।

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30 APR 2018 AT 6:47

किताबों के चन्द पन्ने बेवजह पलटने लगा हूं मैं ।
तुझे यादों से भुलाने का और कोई बहाना ही नहीं ।।

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7 OCT 2021 AT 4:45

ये किताबे ही तो है जनाब
जो हमेशा सच्ची दोस्ती निभाती है,
गरीब अमीर का भेद मिटाकर
अपना हमे बनाती है।

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5 DEC 2020 AT 18:50

Kitabo mein zindagi sirf padhi thi
Aasal Zindagi Toh Zindagi
Se Sikhi Hu........

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28 MAY 2020 AT 12:18

जो हमारे आंखों से बयां होते हैं
वो किताबों में कहां लिखे जाते हैं!
बस जिसमें भगवन का नाम होता है
उसे ही दुनिया को सुनाया जाता है।

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27 NOV 2019 AT 12:29

पुलिंदा किताब का हम पीछे छोड़ आए हैं।
राहगिर हूँ आज का सबने आजमाए हैं।
किताबों के साथ कुछ जादा वक़्त हमने न बिताये हैं।
सफर में हमसफ़र बन के साथ कुछ निभाए हैं।
किताबों के साथ अक्सर नीद बहुत आई है
Exem" कुछ मेने लिखा है कुछ किताबों ने लिखवाएं हैं।
रिस्ता ये पुराना बचपन से किताबों ने अपना निभाया था।
जीस वक़्त खेरियत पूछने भी कोई भी न आया था।
अब वो वक़्त पुराना हम पीछे छोड़ आए हैं।
उनसे ही अपना नाता तोड़ आये हैं।
पुलिंदा किताबों का अब हम पीछे छोड़ आए हैं।.........

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