पडोसी से उल्फत तुम्हे है नही जब ,
खुदा से मोहब्बत निभाओगे कैसे |
अगर माफ़ करते हो तुम न किसी को ,
गुनाहों की माफ़ी को पाओगे कैसे |
बढ़ाता खुदा है उसी को जहाँ में,
निगाहे हो जिसकी मसीह के रहम पर ,
अगर जलते तारीफ से तुम किसी की ,
खुदावंत की तारीफ को पाओगे कैसे |
मिलेगा तुम्हे भी बदले में उतना,
देते हो तुम जो जमाने में जितना,
किसी को खिलाते हो तुम न निवाला,
तो जीवन की रोटी को खाओगे कैसे |
किसी को सताया, किसी को रुलाया ,
किसी को है दुनिया में रुसवा कराया |
तुम्हे खाएगी उनकी आहे जमी पर,
तो जन्नत की गलियों में जाओगे कैसे |
मसीहत में आके ,इज्जत को पाके ,
क्यू जीते हो अजीजो, दिलो को दुखाके,
बहुत ढूंढते हो कमी दुसरो में,
तो अपनों की कमियां छुपाओगे कैसे |
ब्रदर गुड्डू✍️
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