"आहट ज़िन्दगी की"
हर कदम पर तोड़कर मुझे ,
बेतहाशा मेरा इम्तिहान लेती है,
सुना है ज़िन्दगी तू जान नहीं लेती है,
बता..........फिर ये आहट किसकी है।
क्या खूब सपने दिखती है,
छोड़ने के लिए ही मुझसे मिलने आती है,
हर रोज बदल रही है खुशबू अपनी,
बता....... हक में मेरे मिलावट किसकी है।
उजालों का बहाना बनाती है,
डराने को मेरी ही परछाई लाती है,
आईने में ख़ंजर अपनों के ही दिखे,
बता.......सोच में इतनी गिरावट किसकी है
कैद करके मुझको पिंजरे में ,
क़िस्मत को मेरी निठल्ला बताती है,
उड़ने दे कि हौसला बहुत है मुझमे,
बता....... मंजिलें मेरी रुकावट किसकी है।
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