मेरी कहानियों में, मेरे क़िरदार के सिवा कुछ भी नहीं...
मेरे सवाल, मेरे जवाब, मेरे जज़्बातों के सिवा कुछ भी नहीं...
मैं आख़िरी वक्त तक इंतजार में रहता हूं कि सब ठीक होगा...
पर अब लगता है, ये इक भ्रम के सिवा कुछ भी नहीं...
मेरे जज़्बात घुट रहें हैं, मेरे ही अल्फाजों में,
मेरे पास अब लिखने के सिवा कुछ भी नहीं...
मुझे भी तो चाहिए सुकून थोड़ा सा बस,
ये भी एक वहम के सिवा कुछ भी नहीं...
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