तेरे बाद के बाद मुझमें क्या बचा है भला,
एक शहर है उजड़ा हुआ, जिसमे है सब कुछ जला,
छूना मत तुम मेरी शहर की जली इमारतों को,
ना कहना मुझसे कुछ अगर हाथ जो तुम्हारा जला,
पूछते हो हमसे की यहां क्या क्या है बचा
जलने के बाद राख के सिवा और बचेगा क्या भला,
पूछो ना किसने किया है तबाह इस शहर को साहेब,
जलाया उसी ने है जो यहां बड़े नाजों से पला,
तब तक बड़ा खूबसूरत था शहर मेरा
जब तक दौर ए मोहब्बत चला..
ना जाने किस की नजर लगी इस शहर को हमारे..
सबका आशियाना बाद में मेरा आसियाना पहले जला,
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